रेलवे कुछ रूटों पर शताब्दी ट्रेनों के किराए में करेगा कटौती

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नई दिल्ली, इंडियन रेलवे ने किराए के मामले में रोड ट्रांसपॉर्ट को टक्कर देने के लिए रणनीति बनाई है। फिलहाल रेलवे ने कुछ शताब्दी ट्रेनों के उन रूटों की स्टडी की है, जहां शताब्दी ट्रेन में यात्री बेहद कम सफर करते हैं। ये कमी 30 फीसदी तक होगी यानी उन रूटों पर चलने वाली वोल्वो और अन्य एसी बसों के मुकाबले में भी कम किराया होगा। रेलवे को लग रहा है कि इससे उसे बड़ा फायदा मिल सकता है। इसी मकसद से रेलवे ने कुछ रूटों की पहचान भी कर ली है और उम्मीद है कि अगले महीने से रेलवे अपने इस प्लान पर अमल भी शुरू कर देगा।

प्रयोग में दिखी कामयाबी : सूत्रों का कहना है कि रेलवे ने पिछले साल 30 दिसंबर से अजमेर शताब्दी और चेन्नै बेंगलु़रू होते हुए मैसूर तक जाने वाली शताब्दी ट्रेनों में प्रयोग की शुरुआत की थी। अजमेर शताब्दी दिल्ली से चलकर जयपुर तक पूरी तरह से फुल जाती थी, लेकिन जयपुर से अजमेर तक इस ट्रेन में मुसाफिर बेहद कम होते थे। बाद में रेलवे को पता चला कि इस रूट पर यात्री हैं, लेकिन शताब्दी का अधिक किराया होने की वजह से जयपुर से अजमेर जाने वाले यात्री वोल्वो या एसी बसों में सफर कर लेते हैं। इस जानकारी के बाद ही रेलवे ने अजमेर और जयपूर के बीच के किराए में 30 फीसदी तक की कमी कर दी, जिससे कि जयपुर और अजमेर के बीच शताब्दी का किराया वोल्वो बस से कुछ कम हो गया। इसी तरह से बेंगलुरु और मैसूर के बीच भी इसी तरह से किरायों में कटौती कर दी गई। जिसका नतीजा यह हुआ कि अब इन हिस्सों में भी शताब्दी में यात्रियों की तादाद एकाएक बढ़ गई और अब तो इन रूटों पर ट्रेन ही पूरी तरह से भरकर चलती है।

जहां 50 फीसदी सीटें खाली : रेलवे बोर्ड के सदस्य ट्रैफिक मोहम्मद जमशेद ने रेलवे की इस योजना की पुष्टि करते हुए बताया कि रेलवे शताब्दी ट्रेनों के रूट के उस हिस्से में अब रियायत देने की प्लानिंग कर रहा है, जहां ट्रेन में पैसेंजरों की तादाद 50 फीसदी या उससे कम रहती है। ऐसी ट्रेनों में आगरा फोर्ट और जयपुर के बीच चलने वाली शताब्दी, नई दिल्ली लुधियाना शताब्दी, नई दिल्ली और मोगा, नई दिल्ली और बठिंडा, हावड़ा और पुणे के बीच चलने वाली और दोपहर के वक्त चलने वाली कालका शताब्दी ट्रेन। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इन रूटों के उन हिस्सों की स्टडी चल रही है, जहां ट्रेन में यात्रियों की सीटें खाली रह जाती हैं। यह स्टडी अगले एक सप्ताह में पूरी हो जाएगी। उसके बाद इन रूटों के कुछ हिस्सों में यात्री किरायों में कमी की जाएगी। यहां भी यह कमी 30 फीसदी तक होगी ताकि वोल्वो और अन्य एसी बसों के मुकाबले शताब्दी का किराया या तो कम हो जाए या फिर इन बसों के बराबर हो। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई बड़ी अड़चन नहीं आयी तो अगले महीने से ही यह योजना लागू कर दी जाएगी।

 

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