अभी तक आपने भारतीय रेलवे की देश की आर्थिक और सामाजिक दायरों में भूमिका के बारे में पढ़ा। अब इसी कड़ी में रेलवे की उन महत्वपूर्ण उपब्धियों को बताने जा रहे हैं। जिनसे आप रेलवे की एक अलग ही छवि अपने मानस पर लेकर जाएंगे…
भारतीय रेल ने अप्रैल, 2010 से फरवरी, 2011 के दौरान 832.75 मिलियन टन राजस्व अर्जन करने वाले माल की ढुलाई की। पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 803.50 मिलियन टन वास्तविक ढुलाई की तुलना में 29.26 मिलियन टन अधिक माल ढुलाई हुई, जिससे 3.64 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज की गई।
भारतीय रेल को अप्रैल 2010 से फरवरी 2011 के दौरान 84382.99 करोड़ रुपये की आय हुई, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 77958.06 करोड़ रुपये की आय हुई थी। इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में 8.24 प्रतिशत की बढोतरी हुई। 01 अप्रैल, 2009 से 28 फरवरी, 2010 के दौरान माल भाड़े में 52595.86 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी, जबकि इस वर्ष इसी अवधि में 56382.02 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। इसी प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में आय में 7.20 प्रतिशत की बढोतरी हुई।
अप्रैल 2010 से फरवरी 2011 के दौरान कुल यात्रियों की संख्या पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 6777.13 मिलियन की तुलना में 7206.30 मिलियन रही, जिसमें 8.33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। उपनगरी और गैर-उपनगरीय क्षेत्रों से अप्रैल 2010 से फरवरी 2011 के दौरान कुल यात्रियों की संख्या 3719.11 मिलियन और 3487.19 मिलियन रही, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में क्रमश: 3518.00 मिलियन और 3259.13 मिलियन थी। इसमें क्रमश: 5.72 प्रतिशत और 7.00 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज की गई।
139 डॉयल योजना…
भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए नई आधुनिक और सुधरी हुई सुविधा शुरू की है। भारतीय रेलवे ने एकीकृत ट्रेन पूछताछ प्रणाली (आईटीईएस) रेल संपर्क कॉल सेंटर सेवा शुरू की है। इसका नम्बर 139 है। इस नंबर पर पूरे देश से रेलों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस प्रणाली के अंतर्गत एमटीएनएल और बीएसएनएल के ग्राहक को बिना एसटीडी के 139 डॉयल करने पर यह सुविधा मिलती है। इसके तहत गाडिय़ों के आगमन, प्रस्थान, विलंब, किराया, सीटों की उपलब्धता आदि जानकारियां प्राप्त की जा सकती है।
पांच अंकीय प्रणाली
भारतीय रेलवे प्रतिदिन 10,000 से अधिक रेलगाडिय़ों का संचालन करती है, इस वजह से 4 अंकों की संख्या प्राणाली को समाप्त कर पांच अंकों की संख्या प्रणाली को 20 दिसम्बर, 2010 से लागू किया गया। नई प्रणाली में परिवर्तन को सुचारू बनाने के लिए रेलगाडिय़ों में चार अंकों वाली संख्यों से पहले केवल 1 संख्या जोड़ देने मात्र से ही समस्या का समाधान हो जाता है। अवकाशत्योहारों की भीड़ आदि से निबटने के लिए रेलवे जो विशेष रेलगाडिय़ां चलाती है, उनकी भी संख्या मेलएक्सप्रेस की प्रणाली पर ही लगाई जाती है। केवल उनसे पहले संख्या 0 लगा दी जाती है।
विजन 2020
भारतीय रेल ने आम लोगों के बीच रेलवे की वास्तविक स्थिति को सामने रखने के लिए श्वेतपत्र के साथ विजन 2020 दस्तावेज भी संसद के समक्ष प्रस्तुत किया। विजन 2020 दस्तावेज को रेलवे के भविष्य का बेहद महत्वपूर्ण दस्तावेज माना गया है। इस दस्तावेज में विस्तार की बहुत महत्वाकांक्षी योजना रखी गयी है। आगामी 10 वर्षों में भारतीय रेल नेटवर्क में 20,000 पुलों का पुनर्स्थापन, 17,000 बिना चौकीदार वाले समपारों पर चौकीदार तैनात करना, 25,000 किलोमीटर नई लाइनों का निर्माण करना तथा 12,000 किलोमीटर का दोहरीकरण करना शामिल हैं। इस अवधि के दौरान भारतीय रेलों के सामने 2,165 मिलियन टन प्रारंभिक माल यातायात तथा 15,180 मिलियन पैसंजर को ढोने की चुनौती होगी। यह दस्तावेज भारतीय रेल को निम्नलिखित चार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय लक्ष्यों के प्रति प्रतिबध्द कराने का प्रयास है –
– समोवेशी विकास, भौगोलिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से उत्पादनशीलता रोजगार का बड़े पैमाने पर सृजन।
– पर्यावरण संबंधी अनुकूलता।
– राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना।
– अपराध रोकथाम व्यवस्था
रेलवे में अपराध का इतिहास काफी पुराना है। ब्रिटिश शासन के समय 1861 में पुलिस अधिनियम बना था। परन्तु अपराधों की रोकथाम की सही शुरूआत वाच एंड वार्ड बल मुहैया कराने से वर्ष 1881 में शुरू हो पाई। वर्ष 1954 में इसे रेलवे सुरक्षा बल नाम से पुनर्गठन का प्रस्ताव किया गया। वर्ष 1957 में एक अधिनियम पास किया गया। इसमें समय-समय पर संशोधन होते गए और वर्ष 2003 में इस बल को यात्रियों और सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई। कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य के अधिकार क्षेत्र में होने के कारण राजकीय रेल पुलिस का गठन भी राज्य सीमा के आधार पर किया गया। यह अपने राज्य की सीमा पार नहीं कर सकती। रेलवे ने चोरी, लूटपाट और आतंकी हमलों को रोकने के लिए स्टेशनों पर कैमरे और क्लोज सकिर्ट टेलीविजन लगाए हैं।
टक्कररोधी उपकरण
टक्कररोधी उपकरण ट्रेनों पर लगाया जाने वाला उपकरण है और यह एक सुरक्षा उपकरण के रूप में कार्य करता है। दुनिया में ट्रेनों की सुरक्षा के लिए बनाया गया यह पहला उपकरण है। इसे कोंकण रेलवे ने विकसित किया है। यह उपकरण 2013 तक भारतीय रेल के पूरे नेटवर्क पर लगा दिया जाएगा। इससे ट्रेनों में परस्पर टक्कर होने की संभावना काफी कम हो जाएंगी। नार्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे पर यह सफलतापर्वूक काम कर रहा है। यह उपकरण सिग्नलिंग प्रणाली और इंटरलॉकिंग प्रणाली से जोड़ा गया है और टक्कर होने की संभावना की स्थिति में तुरंत काम करने लगता है। भारतीय रेल के यातायात में उल्लेखनीय वृध्दि होने के बावजूद ट्रेन दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है।
दुर्घटना मुआवजा दावा
मृतकों और घायल यात्रियों के संबंध में मुआवजा के लिए रेलवे दावा न्यायाधिकरण में मांगपत्र दाखिल करना होता है। यह आवेदनपत्र दुर्घटना स्थल पर राहत कार्यों के दौरान रेलवे प्रशासन की ओर से बांटे जाते हैं। स्थानीय समाचारपत्रों में इसका प्रारूप प्रकाशित होने के अतिरिक्त ये रेलवे की वेबसाइट www.indianrailway.com से भी प्राप्त किए जा सकते हैं। आवेदन की तीन प्रतिलिपियां दाखिल करानी होती हैं। इसे यात्री स्वयं या उसकी ओर से आश्रित या मृतक यात्री के आश्रित संबंधित रेल दावा न्यायाधिकरण में एक वर्ष के भीतर दावा कर सकते हैं। इसके बाद के दावों पर भी रेल दावा न्यायाधिकरण अकसर विचार कर लेता है। छ: वर्ष से कम उम्र के बच्चों, जिनका टिकट भाड़ा नहीं लिया जाता, उन्हें भी मुआवजा दिया जाता है। मुआवजे के लिए वह यात्री जो प्रामाणिक टिकटों पर रेल में सफर करते हैं उनके अलावा इस योजना के अंतर्गत प्लेटफार्म टिकट धारक भी बीमा के योग्य होते हैं।
महिलाओं के प्रति समर्पित
भारतीय रेल न केवल रेल नेटवर्क में दुनिया की दूसरी बड़ी रेलवे है बल्कि महिलाओं को रोजगार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। भारतीय रेलवे में महिलाओं ने महत्वपूर्ण पद प्राप्त किए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं – भारतीय रेल की सर्वप्रथम महिला रेल ड्राइवर श्रीमती सुरेखा यादव हैं। र्ये वॠा 1990 में ट्रेनीज सहायक इलेक्ट्रिक ड्राइवर पद पर मध्य रेलवे में नियुक्त हुईं थीं। ये प्रथम ईएमयू (मुम्बई उपनगरीय रेल सेवा) की ड्राइवर भी बन गयी हैं। श्रीमती सुरेखा यादव भारत एवं एशिया की प्रथम महिला ड्राइवर हैं।
भारतीय रेल में सर्वप्रथम महिला डीजल रेल इंजन ड्राइवर सुश्री मुमताज काथावाला (अब श्रीमती मुमताज काजी) है। महिला रेलकर्मी सुश्री सूचिटा चटर्जी भारतीय रेल में सिविल सर्विस परीक्षा-2000 बैच की रेल सुरक्षा बल में नियुक्ति पाने वाली प्रथम महिला अधिकारी हैं। भारतीय रेलवे में सर्वप्रथम सहायक स्टेशन मास्टर के रूप में नियुक्ति सुश्री रिंकू सिन्हा राय की अगस्त, 1994 में पूर्व रेलवे कोलकाता में हुई थी। भारतीय रेल में सर्वप्रथम महिला उच्च अधिकारी, सर्वप्रथम महिला मंडल रेल प्रबंधक, सर्वप्रथम महिला अपर महाप्रबंधक, सर्वप्रथम महिला सदस्य रेलवे बोर्ड, सर्वप्रथम महिला वित्त आयुक्त (रेलवे) बनने का श्रेय श्रीमती विजयालक्ष्मी विश्वनाथन को प्राप्त है। इनके अतिरिक्त अन्य अनेक ऐसी महिलाएं हैं जो भारतीय रेल में विभिन्न चुनौतीपूर्ण उच्च पदों पर नियुक्त हो चुकी हैं।
राष्ट्रमंडल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन
राष्ट्रमंडल खेल-2010 में भारतीय रेल के खिलाडिय़ों का प्रदर्शन काफी सराहनीय रहा है। रेलवे के खिलाडिय़ों ने साबित कर दिया है कि वे आगामी ओलंपिक में दुनिया को अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन दिखाएंगे। राष्ट्रमंडल खेल 2010 में भारत ने कुल 38 स्वर्ण, 27 रजत तथा 36 कांस्य पदक जीतकर पदक तालिका में आस्ट्रेलिया के बाद दूसरा स्थान अर्जित किया। इसमें रेलवे के खिलाडिय़ों द्वारा जीते गए 13 स्वर्ण, 3 रजत तथा 7 कांस्य पदक सहित कुल 33 पदक शामिल हैं। इस खेलों में भारतीय रेल के करीब 90 खिलाडिय़ों ने भागीदारी की थी। रेलवे के खिलाडिय़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर जहां नवोदित खिलाडिय़ों का हौसला बढाया है, वहीं देश का गौरव भी बढाया है।
चुनौतियां एवं सुझाव
भारतीय रेल देश के सामाजिक-आर्थिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुकी है। इसका प्रभाव न केवल देश की सामाजिक गतिविधियों पर पड़ा, बल्कि इससे हमारी कला, इतिहास और हमारा साहित्य भी काफी हद तक प्रभावित हुआ है। इसके अलावा इससे भारत की जनता एकता के सूत्र में भी बंधी। भारतीय रेल नेटवर्क देश की जीवन रेखा बन चुकी है। हमारी रेलवे प्रणाली को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए कुछ सुझाव इस प्रकार है।
विश्व स्तरीय स्टेशनों का निर्माण, चल स्टॉक उत्पादन इकाइयों की स्थापना, बहु-उपयोगी आदर्श संभार तंत्र पार्कों का निर्माण तथा रेल लाइनों के नजदीक माल गोदाम तथा थोक गुड्स कंटेनरों के यातायात इत्यादि के लिए नई लाइनों का निर्माण, आमान परिवर्तन, लाइन का दोहरीकरण तथा विद्युतीकरण को माल ढुलाई समक्षमता के साथ जोडऩा होगा। गाडिय़ों में स्थान की कमी यात्रियों में लगातार असंतोष का कारण है। इसके लिए यात्रियों की ढुलाई की क्षमता को बढाना होगा तथा आने वाले वर्षों में गाडिय़ों की लंबाई बढानी होगी। इसके साथ-साथ गाड़ी के समय पालन तथा गुणवत्ता में सुधार तथा डिब्बे के भीतर ही आनंददायक अनुभव की अनुभूतिपूर्ण सेवा की महत्ता की भी आवश्यकता है। टिकट और आरक्षण, माउस के एक क्लिक, एटीएम या हमारी टिकट खिडक़ी से यात्रियों की सुविधा आसानी से उपलब्ध करानी होगी। गाडिय़ों में गुणवत्तापूर्ण भोजन की सप्लाई, स्टेशनों, सवारी डिब्बों, शौचालयों की सफाई, गाडिय़ों में चूहों तथा काकरोचों का नाश, अंतरराष्ट्रीय साइनेजेड़ की व्यवस्था, नियमित और समय पर जन-उद्धोषण सुनिश्चित करना तथा सटीक पूछताछ सेवा कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां हमें सभी स्तरों पर ध्यान देना होगा। भारतीय रेल का वास्तविक और वित्तीय लक्ष्य प्राप्त कर लेना ही उद्देश्य नहीं है बल्कि रेलवे द्वारा मुहैया कराई गई सेवा की असली परीक्षा इस बात में है कि नागरिक और ग्राहक उसे किस रूप में देखते हैं। ग्राहकों की जरूरतों पर रेलवे का सकारात्मक रुख होना चाहिए।