साथियों, अगर देशप्रेम और देशभक्ति नहीं तो राष्ट्रप्रेम नहीं… तो स्वतंत्रता नहीं और स्वावलंबन, लोकतंत्र और विश्वस्नीयता भी नहीं…

हमारा झंडा तिरंगा है, हम तिरंगे के तले काम करते हैं, वंदे मातरम् और भारत माता की जयकार करते हैं। खुले मन से राष्ट्रगान करते हैं। हम देश तोडऩे की नहीं, देश जोडऩे की बात करते हैं। संगठन से रेल जुड़ी है और रेल से देश का विकास इस नाते हम रेल कर्मचारी एक बेहर जिम्मेदार नागरित होते हैं जिम्मेदारी है कि हम बेहद सोचकर समझकर संगठन का चुनाव करें।

तिरंगे झंडे तले हमें एक अत्यंत अनुभवी और कुशल नेतृत्व मिला है और हमारी आवाज पुरजोर तरीके से रलवे बोर्ड से लेकर रेल भवन तक जाती है वह संगठन की देन है वर्ना हमारी हालत आज भी वहीं होती जो एक ठेकेदार के आदमी की होती है यानि प्राईवेटाईजेशन जहां न पूरी पगार है न कोई भत्ता, न बोनस, न कोई मेडिकल की सुविधा, न छुट्टी, न डीए, न युनिफार्म, न कोई पीएनएम और न ही कोई सुनवाई। सिर्फ मिलता है तो गालियां, कम पगार और कभी भी निकाले जाने का डर। ये है प्राईवेटाईजेशन का कडवा सच परंतु हम आज भी कितने निश्चिंत हैं और कई लोग आज भी हमारे बीच अपने स्वार्थपूर्ति के लिए संगठन को कमजोर करने की साहिज के तहत हो रही है। सिर्फ वाट्सअप पर उंगलियां घुमाकर संगठन बुराई करके हमारे भाईयों को भडक़ाने की कोशिश करते हैं और अपनी रोटियां सेकते हैं। जो लोग संगठन के खिलाफ वाट्सअप पर उंगलियां चलाते हैं उनके पूछिए की उन्होंने ने कितने काम रेल कर्मचारी भाईयों के लिए? एक पेज भी लिख सकते हैं? हम बताएंगे अपने काम तो सुनते-सुनते दिन और रात निकल जाएगी।

आज कितनी चुनौतियां हैं हमारे सामने प्राईवेटाईजेशन, एनपीएस, एफडीआई और ऊपर से मजदूर संगठनों को कमजोर करने की साजिश करते प्रशासन और सरकार के चमचे ताकि मजदूर आंदोलन को कमजोर किया जा सके। हमें समझना पड़ेगा कि हम मजदूर संघ के मेंबर बने तो संगठन और मजदूर आंदोलन सशक्त होगा और रेल कर्मचारी मजबूत होंगे अन्यथा सब खत्म हो जाएगा और हम हाथ मलते रह जाएंगे। हर तरफ से मजदूरों को मजबूर और कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन फिर वही कहूंगा कि सही संगठन का चुनाव करना होगा। आज सही मायने में समय आ गया है कि हम एक हों क्योंकि एक तरफ मजदूर विरोधी नीतियां उनमें फूट डालने की कोशिश चल रही है।

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