एचआरए एवं अन्य भत्तों पर शीघ्र निर्णय। एरियर्स के साथ देना होगा एचआरए – डॉ. एम. राघवैय्या, महामंत्री एनएफआईआर
23 जून को सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ ने परेल वर्कशाप द्वार पर एक विशाल द्वार सभा का भव्य आयोजन किया। एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम. राघवैय्या एवं कार्याध्यक्ष डॉ. आर.पी. भटनागर प्रमुख वक्ता के रूप में वहां उपस्थित थे। लगभग 1000 से भी अधिक रेलकामगारों ने जोरदार ढंग से भारतीय रेलवे के इन दोनों महान नेताओं का स्वागत किया। सीआरएमएस के महामंत्री प्रवीण बाजपेयी, कार्याध्यक्ष आर.एन. चांदूरकर तथा कोषाध्यक्ष आर.जी. निंबालकर के साथ अन्य पदाधिकारी भी सुसज्जित मंच पर उनके साथ विराजमान थे।
सभा के शुभारंभ में डॉ. भटनागर ने अपने संबोधन में बताया कि परेल वर्कशाप की पावन भूमि पर डॉ. राघवैय्या का यह प्रथम पदार्पण है। एनएफआईआर के भूतपूर्व महामंत्री स्व. केशव कुलकणी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि एनएफआईआर और परेल वर्कशॉप का पुराना नाता रहा है। स्व. कुलकर्णी ने यहां काफी वक्त बिताया था और वर्कशॉप के कामगारों की समस्याओं एवं उन्हें अनेक लाभ दिलवाने में अहम भूमिका निभाई थी। प्रमोशन के लिए रेलवे वर्कशाप क्लासीफिकेशन ट्रिब्यूनल बैठाकर प्रमोशन के अवसर एनएफआईआर की ही देन है। जिसे 1982 में लागू कराया गया था। आर्टीजन स्टाफ की कैडर रिस्ट्रक्चरिंग, एनपीएस में ग्रेच्युटि का प्रावधान कराने में एनएफआईआर का ही योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि डॉ. राघवैय्या जैसे ज्ञान के भंडार नेता की परेल में उपस्थिति से सभी कामगार गर्व का अनुभव कर रहे हैं। टैक्नीकल स्टाफ की सभी मांगों को हल करने के लिए एनएफआईआर प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी कामगारों से आवाहन किया कि वे गुमराह करने वाले संगठनों के बहकावे में आकर अपनी शक्ति व्यर्थ न करें और परम पूज्य बाबा साहब अंबेडकर के दिखाए हुए सच्चे मार्ग पर चलने वाले राष्ट्रहित से ओतप्रोत सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के साथ जुडक़र ट्रेड युनियन आंदोलन मजबूत करें। डॉ. राघवैय्या की खूबियों को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में ही क्या संपूर्ण विश्व में उन जैसा कामगार नेता नहीं है। उनके ओजस्वी संबोधन के उपरांत जोरदार नारों के बीच डॉ. राघवैय्या ने सभा को संबोधित करना आरंभ किया। करीब तीस मिनट तक अपने धारा प्रवाह संबोधन में उन्होंने रेलवे कर्मचारियों की प्रत्येक मांग एवं उन्हें हल करने के लिए एनएफआईआर द्वारा किए गए प्रयासों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कामगारों द्वारा उन्हें रेल का शेर की उपाधि देने पर कहा कि वह रेल का शेर नहीं मजदूरों के सेवक हैं।
एनएफआईआर जैसे महान संगठन में रहकर वह सिर्फ एक सेवक बनकर पूर्ण निष्ठा और लगन से अपनी जिम्मेदारी का निवर्हन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1969 में गठित मिया भाई ट्रिब्यूनल के समक्ष सिर्फ और सिर्फ एनएफआईआर ने ही कामगारों का पक्ष रखा था और आज उन्हें जो भी लाभ मिल रहे हैं वे सभी एनएफआईआर की ही देन है। इनसेन्टिव बोनस की अवधारणा एवं 1999 और 2009 में उसकी दरों में सुधार करवाने का श्रेय एनएफआईआर को ही जाता है और 7वें केंद्रीय वेतन आयोग लागू होने के बाद एनएफआईआर ही उसमें बढ़ोत्तरी जरूर करवाएगा। उन्होंने ने ‘‘मेक इन इंडिया’’ पर व्यंग करते हुए कहा कि वर्कशॉप बंद करने की साजिश, एफडीआई और कोचेस को विदेशों से आयात करके वर्तमान सरकार छलावा कर रही है। ‘‘मेक इन इंडिया’’ नहीं यह ‘‘इम्पोर्ट इन इंडिया’’ है। कोचेस को स्पेन से आयात करने में जितना राजस्व लग रहा है उससे 28 प्रतिशत कम में वह कोच हम भारत में ही बना सकते हैं। उन्होंने निजीकरण पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि इससे भ्रष्टाचार पनपता है, मजदूरों का शोषण होता है और गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। देश लाखों बेरोजगार युवा वर्ग को रोजगार के अवसर प्रदान कर आयात बंद करना चाहिए।
उन्होंने बताया की सरकार की टाल मटोली के कारण रेलवे इंजीनियर्स के लंबित मामलों को शीघ्र हल करने में एनएफआईआर का प्रयास जारी है। एनपीएस के विषय पर बोलते हुए उन्होंने ऐलान किया कि इसके दायरे में आने वाले कर्मचारियों को हाफ-पे पेंशन के रूप में दिलवाने का एनएफआईआर का वादा है। एनपीएस समाप्त करके ही हम दम लेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी भत्ते पूर्ववत मिलने चाहिए। पे – कमीशन जुलाई 2016 में लागू किया गया इसके लिए सरकार जिम्मेदार है इसलिए एचआरए का भुगतान 1-1-2016 से लागू कर एरियर्स के साथ करना होगा। डॉ. राघवैय्या ने सभी कामगारों से अपील की कि एनएफआईआर / सीआरएमएस का दिल साफ है, एजेंडा साफ है, अत: इसे मजबूत कर आगामी संघर्ष के लिए कमर कस कर तैयार रहें। परेल शाखा के अध्यक्ष चंदनकर ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभा का समापन हुआ।
23 जून को ही वेल्फयर हाल परेल में सीआरएमएस की सीईसी मीटिंग का भी आयोजन किया गया। जिसमें अध्यक्ष डॉ.आर.पी. भटनागर द्वारा रखे गए कर्मचारियों की मांगों लेकर 14 प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा हुई एवं उन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया। एनएफआईआर के महामंत्री डॉ. एम. राघवैय्या ने सीईसी को संबोधित करते हुए ट्रेड युनियन आंदोलन को मजबूत करने का आवाहन किया। एवं मजबूत मार्गदर्शन किया।