रेलवे में फर्जीवाड़े का खुलासा,
बरेली, बरेली जिले से भारतीय रेलवे में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। नटवरलालों ने चंद रूपए के लालच में पूरे सिस्टम को ही चुनौती दे डाली और रेलवे को करोड़ों का चुना लगा दिया। नटवरलालों ने फर्जी टिकट के जरिए रेलवे को नुकसान पहुंचाया है। फिलहाल आरपीएफ ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। आरपीएफ की गिरफ्त में आए इन नटवरलालों ने रेलवे के फर्जी टिकट बेचकर अब तक करोड़ों रूपए ऐंठे है। इनके पास से जाली रेल टिकट और कम्प्यूटर प्रिंटर आदि सामान भी बरामद किया गया है। बता दें कि रेलवे की तरफ से कॉन्ट्रैक्ट पर लोगों को रेलवे के टिकट बेचने के लिए अधिकृत किया जाता है। जिस पर उन्हें एक रुपया प्रति टिकट कमीशन यात्री से मिलता है, जबकि कुछ कमीशन इनको रेलवे की तरफ से दिया जाता है। इसी के चलते इन लोगों ने फर्जी टिकट बनाकर उसे बेचने का धंधा शुरू किया। ये लोग 2 कम्प्यूटर और 2 प्रिंटर की मदद से एक डिवाइस के जरिए कम दूरी का टिकट बनाकर दूसरे कम्प्यूटर और प्रिंटर से बड़ी जगह और दूरी का टिकट बनाकर बेच देते थे। जबकि रेलवे को कम दूरी के टिकट का पैसा ही देते थे। इसके अलावा ये नटवरलाल कई जगह के टिकट रेलवे के मानक से ज्यादा पर भी बेचते थे। इसको लेकर जब शिकायत हुई तो रेलवे के अधिकारी सतर्क हुए और इनको दबोचा। गिरफ्तार होने वालो में एक निजी टिकट बिंडो संचालक और दो अन्य लोग हैं। रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि पूर्वोत्तर रेलवे में टिकट फर्जीवाड़े का यह पहला मामला है। दरअसल मामला तब खुला जब टिकट चेकिंग के दौरान टीटी को फर्जी टिकट मिले जिसके बाद मामला रेलवे के अधिकारियों को बताया गया और फिर आरपीएफ को इस खुलासे के लिए लगा दिया गया। आरपीएफ की टीम ने एक सप्ताह तक जांच के बाद इन नटवरलालों को धर दबोचा। आरोपी ध्रुव गुप्ता का कहना है कि वो और उसका साथी विशाल गुप्ता कई सालों से ये काम कर रहे थे। आरपीएफ ने इन दोनों के साथ ठेकेदार तोफेल अहमद को भी गिरफ्तार किया है। फि़लहाल भारतीय रेल में फर्जी टिकट का ये कोई पहला मामला नहीं है, लेकिन फिर भी इन नटवरलालों से रेल में सफर करने वाले लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।