आज रनिंग स्टाफ भारतीय रेल की सबसे महत्वपूर्ण कैटेगिरी है और भारतीय रेल की दूध देने वाली गाय या ये कहें की रनिंग स्टाफ भारतीय रेल का आभूषण है। परंतु सबसे ज्यादा उपेक्षा का शिकार रनिंग स्टाफ को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त करने की कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। जहां रनिंग स्टाफ भारी मानसिक दबाव में कार्य कर रहा है। वहीं उसका शारीरिक शोषण भी किया जा रहा है। आज मुंबई मंडल में रनिंग स्टाफ का लाइन बॉक्स हटा कर उन्हें 20 से 25 किलो का भार ढोने पर मजबूर होना पड़ रहा है। रेल प्रशासन द्वारा बॉक्स बॉय का पद खत्म कर उसका बोझ भी रनिंग स्टाफ पर डाल दिया है। रनिंग स्टाफ की ड्युटी दिन-रात की होती है। तथा उसे बाहरी स्टेशन पर रेस्ट के लिए रुकना पड़ता है। जहां उसे सोने, नहाने और कपड़े बदलने पड़ते हैं जिसके लिए उसे कुछ कपड़े, तौलिया, टूथपेस्ट, ब्रश आदि साथ में रखना पड़ता है। इसके अतिरिक्त जीआर 4.19 और एसआर 4.19 1999 ई. के तहत निम्न पर्सनल स्टोर लेकर चलना जरूरी होता है यदि नहीं तो उन्हें दंडित किया जाता हे।
निम्न लिखित पर्सनल स्टोर को लोको पायलट को ड्युटी पर ले जाना आवश्यक होता है :-
- जी/एसआर करेक्शन स्लिप केस साथ
- वर्किंग टाईम टेबल
- ट्राई कलर बैच
- 2 लाल और 1 हरी झंडी
- डेटोनेटर
- दो सेट चश्मा
एसआर.4.19/3 के अनुसार लोको पायलट को निम्न पर्सनल स्टोर ड्युटी पर साथ रखना अनिवार्य होता है।
- एक्सीडेंट मैन्युअल करेक्शन स्लिप के साथ
- सेफ्टी पम्पलेट
- कम्पेडिएंट बुक
- ए.सी. और डिजल ट्रबल शूटिंग बुक
- ट्रबल शूटिंग गाईड। इसके अतिरिक्त हैमर, चिजल, स्पेनट, स्क्रू डायवर, प्लायर और रिले आदि वेप करने के गुटके
उपरोक्त संदर्भित पर्सनल स्टोर के अतिरिक्त लोको पायलट को आटा, दाल, तेल आदि खाने के सामान साथ में लेकर चलना पड़ता है। क्योंकि कुछ रनिंग रूमों में रात के समय खाने की व्यवस्था नहीं होती है। सिर्फ रनिंग रूम में कुक उपलब्ध होते हैं। और मैटेरियल नहीं होता है जिससे लोको पायलट लेकर जाना पड़ता है।
यदि लाईन बॉक्स की सुविधा पुन: बहाल होती है तो ये सारे सामान उसमें रखे जा सकते हैं। आज की परिस्थिती में लाईन बॉक्स लोको पायलट गुड्स के लिए बहुत ही जरूरी हो गया है क्योंकि उसे सुरक्षा के हिसाब से कई किलोमीटर विभिन्न यार्डों में भारी भरकम सामान के साथ चलना पड़ता है तथा लाइने क्रॉस करनी पड़ती हैं। लोको पायलट गुड्स के विभिन्न यार्डों में जहां पर पाथवे नहीं होते, लाईट की व्यवस्था नहीं होती भारी भरकम सामान के साथ चलना खतरे से भरा होता है। खासतौर पर बारिश के मौसम में यह दंड के स्वरूप होता है। सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ काफी समय से पायलट तरीके से लाईन बॉक्स की मांग कर रहा है। सर्बबन लोको कैब में पर्सनल स्टोर इनबिल्ट किया जाए जिससे मोटरमैनों को पर्सनल स्टोर ढोने से राहत मिले। आज की परिस्थिति को देखते हुए तथा गाडिय़ों का सुरक्षित संचालन के लिए लाईन बॉक्स अति आवश्यक हो गया है। लाईन बॉक्स न होने की वजह से लोको पायलट में मानसिक और शारीरिक बीमारी काफी बढ़ गई है। लोको पायलट को 20 से 25 किलो का बोझ लादकर कई किलोमीटर चलना पड़ता है। यदि हम चाहते हैं कि हमारी रेल पूर्ण संरक्षित चले और हमारा लोको पायलट तनाव रहित रहे तो लाईन बॉक्स की सुविधा तुरंत बहाल की जाए। यह रेल हित में और देश हित में होगा।